
अभी दुआ उन लोगों (साहिल - समायरा, अविराज - कृशा, वंश - मुस्कान और आध्यांश) के साथ बैठी थी और उनकी बातों, उनके जोक्स पर खुलकर हंस रही थी।
आध्यांश बार - बार उसकी गोद में बैठी दुआ के गालों को चूम रहा था। वही वो तीनों भी अपने - अपने पतियों से चिपकी हुई थी।

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