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Ch 02 - Nafrat Ki Saari Hade Paar

आशी कुछ रिएक्ट नहीं कर रही थी। उसकी बॉडी ने जैसे काम करना ही बंद कर दिया था। वो बस अभिमन्यु की तरफ देख रही थी। वही अभिमन्यु के गुस्से की हद अब पार होने लगी और वो अपनी मुट्ठी भींचते हुए बोला, "लगता हैं मानोगी नहीं।"

अगले ही पल अभिमन्यु ने आशी की साड़ी निकाल कर फेंक दी और साथ ही उसका ब्लाऊज और पेटीकोट भी। अभी वो अभिमन्यु के आगे बस उसके इनर्स में खड़ी थी।

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𝐖𝐚𝐧𝐧𝐚 𝐞𝐱𝐩𝐥𝐨𝐫𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐞𝐩𝐭𝐡 𝐨𝐟 𝐦𝐲 𝐢𝐦𝐚𝐠𝐢𝐧𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐫𝐨𝐮𝐠𝐡 𝐦𝐲 𝐰𝐨𝐫𝐝𝐬.